Saas bhi kabhi bahu thi | सास भी कभी बहु थी

बहु - बुढ़िया तूने मेरा जीना हराम कर रखा है। सारे दिन तेरी खस खस, तेरी बीमारी एक, तेरी दवाइयों का खर्चा, भत्ता बैठ गया मेरे घर का तो। अब तू एक काम कर जल्दी से खड़ी हो। ओर वो सामने मेरा भाई खड़ा है बाइक लेके। ओर उसके साथ में ना वर्धा आश्रम चली जा। अब तू ना वहीँ पे रहेगी समझी। चल खड़ी हो, ये ले तेरी पोटली, चल, चल, जल्दी चल ना। 

बेटा काम पर से थका हारा आकर खाट पर बैठ जाता है। 

बेटा - माँ ओ माँ, मुझे पानी दे दो, मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है।  

बेटे के पास बहु आकर बैठती है 

बहु - आप आ गए जी, आज आप कुछ जल्दी ही आ गए खेत से, क्या बात है जनाब। 

बेटा - अरे आबिदा ! मेरे सर में बहुत जोर से दर्द हो रहा था। इसलिए मैं जल्दी घर आ गया। क्या बात है माँ दिखाई नहीं दे रही है, कहाँ गयी हुई है। 

बहु - तुम्हारी माँ मेरे भाई के साथ वर्धा आश्रम देखने गयी है। 

बेटा - माँ वर्धा आश्रम देखने गयी है, क्यों ?

बहु - मैंने भेजा है जी उन्हें, कल से वो वहीँ पर रहेगी। मैंने उन्हें कहा की आप खुद जाकर वर्धा आश्रम देख आइये। अगर आपको पसंद आये तो ठीक है, वर्ना दूसरा देख लेंगे। 

बेटा - अरे आबिदा तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है क्या ? मेरी माँ वर्धा आश्रम में रहेगी क्या ? 

बहु - चिल्ला क्यों रहे हो, ओर ना नीची आवाज में बात करो। तुम्हे पता है ना की मुझे ऊँची आवाज बिलकुल भी पसंद नहीं है। ओर रही तुम्हारी माँ की बात, तो तुम्हारे इस छोटे से खेत के काम में हमारा घर का खर्चा तो चलता नहीं। ओर ऊपर से जो तुम्हारी बुढ़िया माँ है ना उसका खर्चा ओर बढ़ गया है। कहाँ से लेकर आउंगी। 

बेटा - आबिदा तुम्हे पता है ना, मैं अपनी माँ के बिना नहीं रह सकता। ओर मेरी माँ भी मेरे बगैर नहीं रह सकती। 

बहु - अब आदत डाल लो जी। ये तुम्हारे लिए भी ठीक रहेगा और तुम्हारी माँ के लिए भी। ओर हां अब जा के ना ज़ैद को टूशन से ले आओ। काफी देर हो गयी है। क्योंकि मुझे ब्यूटी पार्लर जाना है। 

बहु - आज मुझे ना मेरी सहेलियों के शाम को पार्टी में जाना है। अरे मेरा मुँह क्या देख रहे हो। बहरे हो गए हो। सुनाई नहीं दे रहा। जाओ ज़ैद को लेकर आओ टूशन से।  

बेटा के पास बहु आकर बैठी है 

बहु - एक गिलास पानी ला दीजिये प्लीज, बहुत जोर की प्यास लगी है। आप ज़ैद को टूशन से ले आये क्या ? कहीं दिखाई नहीं दे रहा बाहर खेलने गया है क्या ? 

नहीं मैं उसे छोड़ आया हूँ। 

बहु - छोड़ आये कहाँ छोड़ आये जी ?

बेटा - अनाथ आश्रम में छोड़ आया। 

बहु - अनाथ आश्रम, ये आप क्या बोल रहे हो ? 

बेटा - मैं सही बोल रहा हूँ। ओर तू मुझसे चिल्लाकर बात मत कर, मुझे भी ऊँची आवाज सुन्ना पसंद नहीं है। मैं सच कह रहा हूँ, ज़ैद को मैं अनाथ आश्रम छोड़ आया हूँ। 

बहु - मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ जी। मेरे बेटे ज़ैद को आप ले आइये वहां से। मैं उसके बिना नहीं रह सकती। 

बेटा - क्या कहा, तू ज़ैद के बिना रह नहीं सकती। (बहु को डंडे से मारकर) कभी तूने सोचा है, मैं मेरी माँ के बिना कैसे रह पाउँगा ? जब बात तेरे बेटे की आयी तो रोने लगी। ओर मेरी माँ के बारे में ये नहीं सोचा कि वो अपने बेटे के बिना कैसे रह पायेगी। 

बहु - मैं आपके पैर पकड़ती हूँ, जी मुझे माफ़ कर दीजिये। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी जो मैंने एक माँ को उसके बेटे से अलग कर दिया। प्लीज् आप ज़ैद को वापस ले आइये जी ओर मुझे माफ़ कर दीजिये। 

बेटा - माफ़ी मांगनी है तो तू उस माँ से मांग जिसके जिगर के टुकड़े को तूने उससे अलग कर दिया। तू उस बेटे को छीन रही थी उससे।  अरे तुझे तो उसकी सेवा करनी चाहिए थी। ओर तू उसे अनाथ आश्रम छोड़ आयी। 

बहु का हाथ जोड़ते हुए एक सीन लेना है 

बेटा - ओर सुन ! मैं इतना निर्दयी नहीं हूँ, जो एक बेटे को उसकी माँ से जुदा कर दूँ। जा ले आ जैद को चाची के घर बैठा है। 

बहु - मुझे माफ़ कर दो जी। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। लेकिन सबसे पहले ना हम दोनों वृद्धा आश्रम चलते है। मैं माँ जी से पैर पकड़ कर माफ़ी मांगूगी। हम दोनों मिल के ना उन्हें इस घर में वापस लेकर आएंगे जी। चले .....

बेटा - चलो 

बहु - मेरी प्यारी बहनो। मैं आप सब से हाथ जोड़कर यही प्रार्थना करती हूँ। के आप अपनी सास को सास नहीं बल्कि अपनी माँ समझे। ओर जो गलती मैंने की है। वह गलती आप भूलकर भी ना करे। 

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