जैविक कीट प्रबंधन

खट्टी छाछ 

बनाने की विधि:- किसी मिटटी के बर्तन (मटका)/प्लास्टिक में 5 लीटर छाछ लेकर उसमे लगभग 50 ग्राम तांबा (पुराना तार, लोटा आदि को साफ़ करके) उसको किसी कपडे से बांध दे।  रोज दिन में एक बार लकड़ी की सहायता से चलायें। 10 दिन बाद जब छाछ का रंग हल्का नीला होने लगे तब जान ले कि यह छाछ प्रयोग करने हेतु तैयार है। 

प्रयोग की विधि:- 500 मिली० छाछ को 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे का प्रयोग करें। 



नीमास्त्र 
सामग्री:- 
  1. नीम की पत्ती या निम्बोली 5 किग्रा० 
  2. वेस्ट डिकम्पोजर 5 लीटर 
  3. गाय का गोबर 1 किग्रा० (यदि उपलब्ध हो)
  4. गौ मूत्र 5 लीटर (यदि उपलब्ध हो) 
  5. साफ़ पानी 100 लीटर 
बनाने की विधि:- समस्त सामग्री को किसी ड्रम में डालकर लकड़ी की सहायता से भवँर बनाते हुये दिन में तीन से चार बार चलाये। 48 घंटे के बाद किसी कपडे की सहायता से छान ले।  

प्रयोग विधि:- 500 मिली० नीमास्त्र को 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे का प्रयोग करें। 


पत्तियों का काढ़ा 
सामग्री:- 
  1. नीम की पत्तियां 2 किग्रा 
  2. पपीता का पत्ता 2 किग्रा 
  3. सफ़ेद धतूरा का पत्ता 2 किग्रा 
  4. अरंडी का पत्ता 2 किग्रा 
  5. भांग की पत्तियां 2 किग्रा 
  6. अमरुद का पत्ता 2 किग्रा 
  7. बेशर्म का पत्ता 2 किग्रा 
  8. आक का पत्ता 2 किग्रा 
  9. कांग्रेस घास 2 किग्रा 
  10. कनेर की पत्तियां 2 किग्रा 
  11. सीताफल का पत्ता २ किग्रा 

बनाने की विधि:- उपरोक्त पत्तियों कम से कम 5 प्रकार की पत्तियों को ले ओर उसको छोटा - छोटा काट ले। उसके बाद पत्तियों को बराबर मात्रा में  वेस्ट डिकम्पोजर या गौ मूत्र को डालकर 20 दिनों तक सुबह शाम भवँर बनाते हुये  चलायें। इस बर्तन को किसी महीन कपडे से ढक कर रखे।  

प्रयोग विधि:- 500 मिली० काढ़ा छानकर 15 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे करें। 

अग्न्यास्त्र
सामग्री:-
  1. तीखी हरी मिर्च 750 ग्राम 
  2. लहुसन 750 ग्राम 
  3. अदरक 750 ग्राम 
बनाने की विधि:- समस्त सामग्री को महीन पीसकर 10 लीटर पानी अथवा वेस्ट डिकम्पोजर में 24 घंटे के लिये मिलकर रखे। दिन में तीन से चार बार चलायें। 

प्रयोग विधि:- छानकर किसी कांच की बोतल रखे। कम कीड़े होने पर 250 मिली० एवं अधिक होने पर 500 मिली० 15 लीटर पानी में मिलकर फसल पर स्प्रे करें। 

नोट:- भूमि में एक ही प्रकार की फसल बार बार न लगाएं। मेढ़ पर चारो ओर पीले फूलो वाले पौधे लगाये। बुआई पूर्व भूमि को उपचारित अवश्य करें। 
गर्मी  के दिनों में गहरी जुताई करने से काँटों की समस्या से बचाव होता है। 

सौजन्य से - 
Hum Kadam
Head office:- Kayasth tola, Nanpara                District-Bahraich, Uttar Pradesh 271865



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