जैविक खेती मे प्रयोग होने वाले पदार्थ

जीवामृत 

जीवामृत छोटे किसानो की समृद्धि का मूल मंत्र मन जाता है। जीवामृत में वैक्टिरिया बहुत अधिक संख्या में होता है, जो कि मिटटी से पोषक तत्व पौधों को लेने में सहायता प्रदान  करते है। जीवामृत मिटटी से आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोज़न, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, जिंक आदि  ग्रहण करने करने में पौधों की सहायता करता है। 



जीवामृत बनाने हेतु सामग्री:-

  1. गाय का ताजा गोबर 10 किलोग्राम  
  2. गुड 1 किलोग्राम 
  3. गाय या गौवंश का मूत्र 10 लीटर 
  4. किसी भी दाल का आटा 1 किलोग्राम 
  5. बरगद के पेड़  नीचे की मिटटी 500 ग्राम 
  6. साफ़ पानी 200 लीटर 

बनाने की विधि: उपरोक्त सामग्री को एक ड्रम में डालकर सड़ने के लिए 2 से 3 दिन के लिए छाया में रखे। घडी की दिशा में लकड़ी के डंडे से भवँर बनाते हुए दिन में 2 बार 2 मिनट तक घूमना है। 48 घंटे में जीवामृत तैयार हो जाता है। इसको सिंचाई के पानी के साथ पौधों में दिया जा सकता है या फिर सीधा पौधों पर भी छिड़का जा सकता है। 

प्रयोग करने की विधि: प्रति बीघा सिंचाई के पानी के साथ 40 लीटर जीवामृत का प्रयोग करें। 1 लीटर प्रति पम्प का स्प्रे के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

जीवामृत के लाभ: जमीन से नाइट्रोजन पौधों को पहुँचता है। पौधों को वृद्धि व् मजबूती प्रदान करता है। जीवाणुओं के पोषण एवं वृद्धि हेतु सहायता प्रदान करता है। 

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पंचगव्य 

पंचगव्य बनाने हेतु सामग्री:-
  1. गाय का ताजा गोबर 500 किग्रा 
  2. गाय का दही २०० मिली. 
  3. गाय या गौवंश का मूत्र 300 मिली 
  4. पके हुए केले 1 या 2 
  5. गाय का दूध 200 मिली 
  6. गाय का घी 50 ग्राम 
  7. गन्ने का रास 300 मिली अथवा गुड़ 100 ग्राम 300 मिली पानी में घोलकर 

बनाने की विधि: सबसे पहले गाय का गोबर, घी, ओर 300 मिली गौ का मूत्र किसी प्लास्टिक या कंक्रीट के बर्तन में मिला ले ओर 3 दिन के लिए छोड़ दे ओर सुबह शाम मिश्रण को हाथ से हिलाये। चौथे दिन इसी घोल में बाकी सामग्री को 10 लीटर पानी में मिला दे ओर सुबह शाम मिश्रण की घडी की दिशा में लकड़ी के डंडे से भवँर बनाते हुए दिन में दो बार दो मिनट तक हिलाये। 14 दिन के बाद पंचगव्य बनकर तैयार हो जायेगा। 

प्रयोग करने की विधि: तीन लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में मिलकर फसल पर छिड़काव करें। 

पंचगव्य के लाभ: पौधों को पोषण प्रदान करता है, फूल को गिरने से रोकता है, फल को चमक प्रदान करता है व् मिटटी में नमी बनाये रखने में सहायता प्रदान करता है। 

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                                    वैस्ट डिकम्पोजर 

सामग्री:- 

  1. वेस्ट डिकम्पोजर
  2. गुड 1 किलोग्राम 
बनाने की विधि: एक 200 लीटर के ड्रम में पानी भरकर 1 किलोग्राम गुड़ मिलाकर 8 से 10 दिन के लिए रखा जाता है ओर 11वे दिन से इसे फसल में सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर डाला जाता है या फसल पर इसका छिड़काव भी किया जा सकता है। 

प्रयोग करने की विधि: प्रति बीघा सिंचाई के पानी के साथ 40 लीटर अथवा 2 लीटर प्रति पम्प फसल पर छिड़काव हेतु प्रयोग करें। 

वेस्ट डिकम्पोजर के लाभ:- पौधों के बढ़वार में सहायता प्रदान करता है, जमीन को स्वस्थ रखता है, खेत के कचरे, गिरी पत्ती फसल अवशेषों को जल्द से जल्द खाद में परिवर्तित कर उर्वरकता को बढ़ाता है। अन्य सामग्री को मिलाकर कीटरोधक का कार्य करता है। 90 प्रतिशत तक कवकनाशी, कीटनाशी के प्रयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 

सौजन्य से - 

Hum Kadam
Head office:- Kayasth tola, Nanpara                
District-Bahraich, Uttar Pradesh 271865


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