15 अगस्त 2020, जय हिन्द बस्ती, गाज़ियाबाद


दोस्तो मेरा नाम असलम है, ओर आज मैं इस ब्लॉग मे आपको जय हिन्द नामक एक बस्ती जो की गौशाला फाटक के पास गाज़ियाबाद मे स्थित है, के बारे मे जानकारी देने जा रहा हूँ, यह जानकारी 15 अगस्त 2020 की है,
पिछले कुछ वर्षो से इस बस्ती मे हर साल तिरंगा झण्डा फहराने का कार्यक्रम किया जा रहा है। 

सबसे पहले तिरंगा झंडे को फहराया गया, ओर उसके बाद राष्ट्रीय गान किया गया । राष्ट्रीय गान होने के बाद बस्ती के कुछ लोगो ने अपनी अपनी बात बस्ती के लोगो के समक्ष रखी।


सबसे पहले ओमप्रकाश जी (बब्बू जी) ने बस्ती के लोगो से कहा ..........
आप सब भाई बहनों को जय हिंद जय भारत, देखिए आज तक हमने जो भी काम करें हैं, लक्ष्मी संस्था के साथ, सैनिक संस्था के साथ, आशा ज्योति संस्था के साथ और रानी संस्था के साथ । हमारी चार संस्था है, जो एक लखनऊ में है, एक नोएडा में है जिसको ज्योति जी चलाती हैं जिनकी लक्ष्मी संस्था है, एक सैनिक संस्था है जो हमारे कर्नल साहब हैं, आज तक हमने जब भी कदम उठाया तो उन्होंने हमारे कदम से कदम मिलाकर हमारी आवाज उठाई । ज्योति जी का हम पर बहुत बड़ा एहसान है, बहुत बड़ा जो उन्होंने हमारे हर कदम पे कदम से कदम मिलाया है, हम उनका एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे, बहुत एहसान है उसका, हम जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे उनका एहसान और फिर, आपको भी उनका एहसान नहीं भूलना चाहिए, लॉकडाउन के टाइम पर हमने कहा, हमारे गरीब भाई हैं, इन गरीब भाइयों के लिए राशन बटना चाहिए, तो उन्होंने कहा ठीक है हम 50- 50 आदमियों का राशन बटवा रहे हैं, उनसे लक्ष्मी संस्था से बात हुई हम जुड़े, असलम भाई यहां पर आते थे और चले जाते थे, तो पब्लिक क्या करती थी, अरे ऐसा ही है कोई संस्था नहीं है, हम जुड़े लक्ष्मी संस्था से, जब हम जुड़े तो आप लोग भी जुड़े, क्या समझे, तो लक्ष्मी संस्था ने वह कदम उठाया जो आज तक नहीं उठाया, सैनिक संस्था ने जो हमारे कर्नल साहब हैं, वह हर बार आए अबकी बार नहीं आ पाए किसी कारण, और जो लक्ष्मी संस्था है वह भी नहीं आ पाई हैं नहीं तो हर 15 अगस्त को 26 जनवरी को आते हैं या नहीं आते हैं, देखो जी एक तो करोना वायरस चल रहा है एक तो कारण यह है । आप लोगों को एक साथ मिलकर रहना है यदि एक साथ रहोगे तो काम करवाओगे, यदि नहीं रहोगे इस तरह से रहोगे अरे कोई भी नहीं आया, मैं तो अपने घर चलूं, तुम आए हो एक और एक दो होते हैं, और दो और दो चार होते हैं, और चार और चार आठ होते हैं, इसी तरह से एक संगठन बनता है, क्या समझे, इसी तरह से एक संगठन बनता है, और उस संगठन को बनाने के लिए पहले कौन खड़ा हुआ, पहले मैं खड़ा हुआ, फिर मेरे साथ आप लोग खड़े हुए, उस तरह से इस संगठन को मजबूत बनाओ, मजबूत ऐसा बनाओ कि सामने वाला मजबूर हो जाए, हमारे काम करने के लिए, क्या समझे, तो भैया मेरे प्यारे भाइयों और भतीजीयो, मेरी सब से प्रार्थना है, एकजुट बनाओ और इसी के साथ में अपनी बात को खत्म करता हूं जय हिंद जय भारत!

अब हमारे मदारा जी आपको कुछ बताएंगे.......
हमारे बीच में इस बार कोई अधिकारी तो आया नहीं, हमने सोचा कि हम ही सब कुछ कर लेंगे हम सारे भाई हैं, साथियों ऐसे गम में बोला तो नहीं जाता है, मेरी भी कुछ मजबूरियां हैं, और यहां जो नहीं आ सका कुछ लेट हो गया, तो 11 तारीख को हमारा नाम लिखा गया था, वहां पुराने बस अड्डे पर कांग्रेस कार्यालय में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से एक मीटिंग हुई थी, इसलिए मेरी मजबूरी थी मैं नहीं आ सका, मैं वहां पहुंच गया बड़ी पार्टी थी, अभी हमारे बब्बू जी ने कहा यहां कोई आता नहीं है, और पब्लिक नहीं होती है, जनानी बहुत होती है घरों में क्या आदमी नहीं हैं, नहीं! यहां आदमी भी है, और जनानी भी है, सब हमारे सर का ताज हैं, तो बाबू जनानी जब हैं तो इनके साथ आदमी भी हैं, और इतने आदमी मैं, बड़ी सभा में गया था इतने तो वहां भी नहीं थे, जितने आदमी यहाँ है। हमारी संघर्ष कॉलोनी में हुए, शुक्र खुदा का है यह आवाज जमीन से लेकर खुदा के घर और भगवान के घर तक पहुंचेगी, और मोदी के दरवाजे पर उसकी छाती पर टकराएगी, की यह बात गरीबों का साथ देते रहे हैं और देंगे और जितना हो सकेगा हम अपना खून और पसीना इन झुग्गियों में हम देंगे । 

और हमें कोई याद करें या ना करें, हम तो उनको अपने दिल में याद रखेंगे, साथियों जितने आदमी इकट्ठे हुए उनका एक एक बच्चे का एक-एक जनानी का बड़ा एहसान और आभारी हैं मैं तो, जितने आज देखने को मिले इतने ही हमेशा हमेशा के लिए आए दिन हमारे साथ को साथ निभाते रहे, और साथ देते रहें, और हम उनके बच्चों की  शकले देखते रहें, तो हमारा दिल खुश रहेगा, और हम साथ में रहेंगे, उनके काम के लिए हम अपने खून और पसीने को लेकर के और धूप और तिजोरी को कुछ नहीं देखेंगे, हमारी जहां जरूरत पड़ेगी हम जरूर जाएंगे, बब्बू भाई और संस्था ने हमारे ऊपर इतना बड़ा एहसान और हमें इतना हौसला दिया, यहां से लगाकर हाई कोर्ट इलाहाबाद में इन्हीं झुग्गियों के बारे में भेजा और वहां जाकर जैसे आज हम यहां खड़े हुए हैं झुग्गियों में, वहां संस्था ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में यह बात रखने के लिए झुग्गी झोपड़ी की, हाई कोर्ट इलाहाबाद में जब भेजा गया तो वहां मेरठ मंडल के भी आदमी थे, आगरा मंडल के भी थे, बरेली के भी अफसर लोग थे, और दिल्ली मानव अधिकारी वहां के भी लोग थे, वहां यह सभी माताओं बहनों मेरे प्यारे बच्चों और नौजवान साथियों की बात और इसी मदारा ने वहां रखी, यह तो हमारे घर की कचेड़ी है, इसमें तो हम रोज बात सुनते हैं कहते हैं हमें चार खोटी भी कहते हैं तो हमें कोई गम नहीं है, वहां हम दूसरे देश में जाकर के और ऐसे ऐसे पढ़े-लिखे लोगों के सामने बोलना मुह बंद हो जाता है, और वहां मुझे बोलने का मौका मिला, और आप लोगों की ताकत से आप लोगों की दुआ से हम वहां बोले, और आप सब लोगों की वहां सिफारिश करी, और बात करी, उन्हीं बातों से और उन्हीं शब्दों से अब तक बाल बांका नहीं हुआ है । 
दूसरे राजनाथ गृहमंत्री थे, गृह मंत्री के सामने इन झुग्गी वासियों को बस भर भर कर लेकर गए, उनके सामने यह बात रखी गयी की झुग्गी झोपड़ी वाले बहुत दुखी हैं, क्या दुख है यह दुख है कि हमारी लड़कियां बेटियां टट्टी जंगल को जाती हैं, नौजवान उनको देखकर हा हा हू हू मचाते हैं, और यदि उनके ऊपर हमारी बहू बेटियां किसी तरह की शिकायत करती है, तो पुलिस आती है, उनको ले जाती है जो बेगुनाह होते हैं, गुनहगारों को छोड़ देते हैं, नल के पानी की बहुत कमी और वहां परेशानी है, एक घर में नल है अभी और वहां पर पानी भरने जाते हैं तो जिसके हल्के में जिसके घर के आस-पास में होता है वह लड़ाई-झगड़ा करते हैं, इसलिए साहब हमें बड़ी परेशानी है, रहने कोई नहीं देता हम लोग वहां से उजड़ करके सोचते हैं कि सड़क और पटरी के सहारे हम लोग अपने बच्चों को बिठएंगे, तो पुलिस आती है और ले जाती है, ओर डंडा मार के बंद कर देती है,

इन्हीं बातों के साथ में आप लोगों से भी चाहता हूं कि गलत कहा हो तो माफ करना और काम चल रहा है अभी हमारा इरादा है दिल्ली जाने का और दिल्ली जाएंगे और इन झुग्गियों की बात को रखेंगे और रखेंगे भी और लिखवाकर भी लाएंगे, राजनाथ जी ने यह कहा था, जब आपके घर में सब के नोटिस लगे हुए थे, नोटिस को देखकर राजनाथ जी ने कहा था, कि जब तक इनको कहीं बसाया ना जाए तब तक इनको उजाड़ा भी ना जाए, उनके कहने पर राजनाथ जी गृहमंत्री थे आज तो रक्षा मंत्री हो गए उनकी ताकत बहुत बड़ी हो गई है, आज उसको हमारा दिल चाहता है, हम फिर उनके सामने यह बात रखेंगे कि इन लोगों को आप बसाइये, क्या पता हमें फल देदे वो। तो इन्हीं बातों के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं जय हिंद जय भारत

इसके बाद आशा देवी जी ने बस्ती के लोगो को कहा .............
सभी माताओं बहनों को मेरा नमस्कार, झुग्गी झोपड़ियों की तरफ से हम यह चाहते हैं कोई भी परेशानी ना हो आपको और किसी भी काम में हमें कामयाबी मिले और सब मिलकर हमारा सहयोग दें तभी कुछ सफलता होगी नमस्ते जय हिंद जय भारत

एक बार फिर से ओमप्रकाश जी ने बस्ती के लोगो से कहा .........
हम कब कदम उठाएंगे दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हम तुम लोगों के लिए जाएंगे, और एक बात बताओ आप लोगों के कभी भी काम करें हैं या नहीं करें, किसी से कोई पैसा फालतू खाया है हमने, नहीं खाया जो खर्चे में आते हैं जो जरूरत पड़ती है वह लेना देना पड़ता है, आपको एक बात बता दूं, जब मैं यहां से मेरठ दो बसों को लेकर गया था किसी को नहीं मालूम 5000 रुपए मैंने अपना बकरा भेज कर दिया था, किसके लिए जनता के लिए मेरा बकरा बिका था, और 5000 रुपए मजारा जी के हाथ में दिये थे जब मैं इलाहाबाद पहले दिन गया था, दूसरे दिन इन्हें भेजा था जब इन्हें भेजा था इन्हें पैसे दिए थे कि वकील को देने हैं यह पैसे, मदारा जी को पैसे दिए और किराया भाड़ा भी दिया सारा कुछ दिया, तो मेरे कहने का मतलब है, मैं आप लोगों के लिए इतना कर रहा हूं, मदारा जी इतना कर रहे हैं, अपना समय खराब कर रहे हैं, संस्था हमारा साथ दे रही है, जब बुलाओ जब आ जाते हैं, ज्योति जी का हम पर बहुत बड़ा एहसान है, बहुत बड़ा जो उन्होंने हमारे हर कदम से कदम मिलाया है हम उनका एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे, बहुत एहसान है उसका, और फिर आपको भी उनका एहसान नहीं भूलना चाहिए, यदि अगर यह जुग्गी 2014 में टूट जाती, तो आप कहां रहते ठिकाना नहीं था कहीं, 6 महीना कहीं रहते 6 महीना कहीं रहते, मकान मकानदार खाली कराते रहते, अगर आज हमारे बीच में लक्ष्मी संस्था नहीं होती तो हम यहां ना होते, लक्ष्मी संस्था ने बहुत कुछ करा है, सैनिक संस्था नहीं होती तो आज हम यहा नहीं होते, सैनिक संस्था जय हिंद बस्ती नाम नहीं रखते आज हम यहां पर नहीं होते 

तो इसलिए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों और भतीजी यों मैं सब से प्रार्थना करता हूं, समय मत देखो बच्चा रो रहा है बच्चे को मत देखो, अपने हक के लिए लड़ो, जब तक सरकार तक अपनी बात नहीं पहुंचाओगे, तब तक तुम कुछ नहीं पकड़ोगे, एक दिन आएगा बुलडोजर चल जाएगा तुम कहीं होंगे हम कहीं होंगे। 

हमें उम्मीद है कि इस आर्टिकल से आपको जयहिंद बस्ती कहाँ है? इस बस्ती में कितने प्रकार की समस्याए  है? और बस्ती के लोग अपनी समस्याओ से राहत पाने के लिए कितने प्रयास कर रहे है? इससे जुड़ी सारी जानकारी आपको मिल गई होगी अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे लाइक करें और अपने दोस्तों को भी शेयर करें ताकि उन्हें भी इस विषय से जुड़ी जानकारी मिल सके और आगे भी ऐसी इनोवेटिव जानकारी के लिए हमारी Admax Entertainment  की ऑफिशियल वेबसाइट को विजिट करें धन्यवाद!!!

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